आत्मा और परमात्मा

परमात्मा का अर्थ परम आत्मा से हैं परम का अर्थ होता है सबसे श्रेष्ठ यानी सबसे श्रेष्ठ आत्मा आत्मा का अर्थ होता है हर प्राणी के अंदर विराजमान चेतना के रूप में एक चेतन स्वरूप तो इसका अभिप्राय हुआ कि परमात्मा एक आत्मा है और वह आत्मा सबसे बड़ी है और सबसे शुद्ध और पवित्र है।

‘परमात्मा’, आत्मा का परम रूप – साधारण इन्सान परमात्मा को अपने से अलग समझता है, परन्तु आत्मा और परमात्मा अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही परम तत्व के दो नाम हैं, अंतर सिर्फ इतना है कि ‘परमात्मा’, आत्मा का परम रूप है।

परमात्मा शब्द दो शब्दों ‘परम’ तथा `आत्मा’ की सन्धि से बना है। परम का अर्थ सर्वोच्च एवं आत्मा से अभिप्राय है चेतना, जिसे प्राण शक्ति भी कहा जाता है।

आत्मा का तात्पर्य परम से है जबकि परमात्मा का तात्पर्य मानव आत्मा से है । आत्मा का तात्पर्य भगवान ब्रह्मा से है जबकि परमात्मा का तात्पर्य परम से है।

आत्मा समस्त प्राणियों की एक है जो कि- परमात्मा का स्फुर्लिंग है। जबकि वासनात्मक मन (कारण-शरीर) से आवृत आत्मा “जीवात्मा” कही जाती है, जो प्रत्येक प्राणी की विशिष्ट होती है।

आत्मा परमात्मा का मिलन सत्संग से ही है। मनुष्य शरीर मौज मस्ती के लिए नहीं है। इस योनि में किए कार्य से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। जिस जमीन, जायदाद, दौलत को आप कहते हैं कि यह मेरा है, इसी को आपके पूर्वज भी मेरा-मेरा कहते चले गए, तो यह कैसे मान लें कि यह आपका है।

ईश्वर ब्रह्मांड का निर्माता है लेकिन आत्मा ईश्वर की निर्माता है। आत्मा ईश्वर से पहले अस्तित्व में थी। आत्मा वह है जो हमेशा थी और हमेशा रहेगी ,चाहे ब्रह्मांड हो या न हो मौजूद है. आत्मा गतिहीन और कंपन रहित है।

लेकिन एक निश्चित अवधि समाप्त होने के बाद आत्मा का फिर से पुनर्जन्म होता है और आत्मा नए शरीर को धारण कर धरती पर जन्म लेती है. लेकिन जिस तरह कर्मों के अनुसार मृत्यु के बाद स्वर्ग या नरक में आत्मा को स्थान प्राप्त होता है. ठीक उसी तरह से जन्म लेने के पहले भी आत्मा स्वर्ग या नरक में रहती है.

जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है। ये बात जो लोग समझ लेते हैं, वे गलत कामों से दूर रहते हैं। मृत्यु के बाद कोई भी व्यक्ति अपने साथ कुछ चीज नहीं ले जा सकता है। इसीलिए हमें धर्म के अनुसार ही कर्म करना चाहिए।

परमात्मा शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – परम और आत्मा. परमात्मा का अर्थ है परम आत्मा, यानी सबसे श्रेष्ठ आत्मा. परमात्मा के बारे में कुछ और बातेंः
परमात्मा, ब्रह्म के कई पहलुओं में से एक हैं.
परमात्मा, स्थूल जगत में हर जीव के मूल में स्थित हैं.
परमात्मा, समग्रता का नाम है और सब चीज़ों की परिभाषा हो सकती है.
परमात्मा, किसी एक रूप तक सीमित नहीं हैं. एक ही ईश्वर अलग-अलग रूपों में विराजमान हैं.
परमात्मा के कई नाम और रूप हैं, जैसे कि शिव, कृष्ण, राम, नारायण, दुर्गा, काली, पार्वती, लक्ष्मी, और सरस्वती.

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