आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू होगी। नवमी तिथि पर पूजन और हवन किया जाता है। इसके अगले दिन दशहरा मनाया जाएगा।
नवरात्र की सप्तमी तिथि मां काली को समर्पित है। इस तिथि पर मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। एक ही तिथि पर सप्तमी-अष्टमी पड़ने पर अष्टमी व्रत मां कालरात्रि को समर्पित तिथि पर नहीं किया जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि का व्रत रखना वर्जित है, इसलिए अष्टमी का व्रत अगले दिन यानी 11 अक्टूबर को रखा जाएगा और इस दिन ही नवमी भी मनाई जाएगी। इस साल अष्टमी व नवमी एक ही दिन पड़ रही हैं। इसके अगले दिन अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इसके लिए अष्टमी व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा। वहीं, नवमी पूजन एवं हवन भी 11 अक्टूबर को किया जाएगा। साधक 12 अक्टूबर को व्रत का पारण कर सकते हैं।
2024 में नवरात्रि के दौरान अष्टमी और नवमी एक साथ 11 अक्टूबर को होंगी । चंद्र तिथियों का यह दुर्लभ संयोग इस त्यौहार को विशेष महत्व देता है। भक्त एक ही दिन में दोनों अनुष्ठान कर सकते हैं। इस साल कन्या पूजन भी 11 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

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