श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु हिंदू पंचांग के अनुसार जिस तिथि में हो जाती है, उस तिथि को की जाती है. इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान दिया जाता है. पंडित या पुरोहित की सहायता से श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. परिवार के सदस्यों द्वारा पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है. श्राद्ध में ब्राह्मण भोज और गरीबों को भोजन व दान देने का भी प्रावधान है.
श्राद्ध विधि
इस दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति देवी-देवताओं, ऋषियों और पितरों के नाम का उच्चारण करके श्राद्ध करने का संकल्प लेते हैं. इसमें जल में काले तिल मिलाकर पितरों को अर्पित किया जाता है. इस प्रक्रिया को तर्पण कहते हैं. इसे तीन बार किया जाता है. फिर चावल के बने पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं. यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण मानी जाती है और इससे पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है. श्राद्ध कर्म के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें वस्त्र, भोजन, तिल, और अन्य दान दिए जाते हैं. इसे पिंडदान से भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि ब्राह्मणों को पितरों का प्रतिनिधि माना जाता है.
तर्पण करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्। गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
पितृ को तर्पण कैसे करें?
श्राद्ध के लिए सफेद फूल, दूध, गंगाजल, शहद, सफेद कपड़े, और तिल जरूरी है। दक्षिण की दिशा में मुंह करते हुए बांए घुटने को जमीन पर टेक लगाकर बैठ जाएं। काला तिल, गाय का दूध, गंगाजल और पानी मिलाकर तांबे के लोटे में डाल लें। तांबे के उस बर्तन में भरे जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ से ही तर्पण दें।
तर्पण विधि
तर्पण के लिए सबसे पहले आप पूर्व दिशा में मुख करके कुश लेकर देवताओं के लिए अक्षत से तर्पण करें। इसके बाद जौ और कुश लेकर ऋषियों के लिए तर्पण करें। फिर उत्तर दिशा में अपना मुख करके जौ और कुश से मानव तर्पण करें। आखिर में दक्षिण दिशा में मुख कर लें और काले तिल व कुश से पितरों का तर्पण करें।
पितृपक्ष के जरूरी नियम
पितृपक्ष में तिथिनुसार पितरों का श्राद्ध करने का रिवाज है. परिवार में जो कोई भी पितृपक्ष का पालन करता है या पितरों का श्राद्ध करता है, उसे इस अवधि में केवल एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए, पितृपक्ष में सात्विक आहार खाएं, प्याज लहसुन, मांस मदिरा से परहेज करें. जहां तक संभव हो दूध का प्रयोग कम से कम करें.
पितरों को हल्की सुगंध वाले सफेद पुष्प अर्पित करने चाहिए. तीखी सुगंध वाले फूल वर्जित हैं. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को तर्पण और पिंड दान करना चाहिए. पितृपक्ष में नित्य भगवदगीता का पाठ करें.