एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शंकर ने माता पार्वती को इस व्रत का महत्व बताते हुए बोला, मगध देश में कुंडी नाम का एक नगर था। वहां एक आदर्श स्त्री चारुमती रहती थी, जो अपने परिवार की देखभाल कर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी। चारुमती माता लक्ष्मी की बहुत बड़ी भक्त थी। एक रात्रि माता लक्ष्मी ने चारुमती के स्वप्न में आ कर वरलक्ष्मी व्रत का विधान बताया। चारुमती ने अपने आस-पास की सभी महिलाओं के साथ यह व्रत विधि-विधान से किया। जिस से उनके घर स्वर्ण से भर गए और उन सभी के परिवार वालों को सुख-समृद्धि प्राप्त हुई।
धन, वैभव, समृद्धि, सुख और संपत्ति ऐसी वस्तुएं हैं, जिनकी इच्छा हर व्यक्ति करता है। शास्त्रों में इन वस्तुओं को प्राप्त करने का सरल माध्यम है वरलक्ष्मी व्रत। जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाई जाती है। ये व्रत अधिकतर कर्नाटक और तमिलनाडु में रहने वाले करते हैं। वरलक्ष्मी से वरदान और लक्ष्मी दोनों प्राप्त होते हैं। संतानहीन महिलाएं ये व्रत करें तो उनके घर-आंगन में जल्दी ही किलकारियां गूंजने लगती हैं। सौभाग्यवती महिलाओं का सौभाग्य अखण्ड रहता है। यदि पति-पत्नी दोनों मिलकर इस व्रत को करते हैं तो दोगुना फल प्राप्त होता है। मान्यता है की वरलक्ष्मी व्रत रखने वाला व्यक्ति अष्टलक्ष्मी पूजन जितना पुण्य प्राप्त करता है। जो व्यक्ति व्रत करने में सक्षम न हो वो ये पूजा करने से वैभव और संपत्ति दोनों प्राप्त कर सकते हैं। उनके घर से दुख और दरिद्रता सदा के लिए बाहर चले जाते हैं।
प्रदोषकाल के समय स्नान कर घर की पश्चिम दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रखें। कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें। माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। कमल के फूल से पूजन करें। इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई और फल भी रखें। इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की निम्न मंत्र के साथ कुंकुम, अक्षत और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें।
इस प्रकार पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जीवन में कभी भी धन का आभाव नहीं होता और सुख-समृद्धि में निरंतर वृद्धि होती रहती है। क्रोध, वैमनस्य, ईर्ष्या, जलन, नफरत और बेईमानी जैसे भावों से दूर रहना अति आवश्यक है। मन की सरलता से सारे तंत्र-मंत्र-यंत्र सिद्ध होते हैं।
वैभव लक्ष्मी व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक बेहद शुभ और पुण्यदायी व्रत माना जाता है. कहा जाता है जो कोई भी महिला विधिपूर्वक इस व्रत को करती है, उनके घर में हमेशा सुख, संपन्नता बनी रहती है. साथ ही ऐसे लोगों के कोई भी काम रुकते या बिगड़ते नहीं हैं.