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इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025 गुरुवार को रात्रि 11:26 के बाद ही होगा। वहीं 14 मार्च को दोपहर के बाद रंग वाली होली खेली जाएगी।

13 मार्च 2025, गुरुवार को सूर्योदय से लेकर सुबह 10:35 तक व्याप्त रहेगी, तत्पश्चात पूर्णिमा तिथि आरम्भ हो जाएगी। भद्रा करण, सुबह 10:35 से आरम्भ होकर रात्रि 11:26 तक रहेगा। अत: होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार को रात्रि 11:26 के बाद ही होगा। व्रत की पूर्णिमा भी 13 मार्च को होगी। भद्रा में होलिका दहन का निषेध हमारे धर्मशास्त्रो में लिखा है। अत: भद्रा के बाद ही होलिका दहन धर्मसम्मत है। होलिका दहन का मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से रात्रि 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।

होलिका जलाते समय और उसकी अग्नि में सामग्री अर्पित करते समय इस मंत्र को बोलें-

अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।

होलिका दहन के बाद उसकी भस्म को अपने माथे पर लगाते हुए इस मंत्र को बोलें-

वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।

होलिका पूजा मंत्र ॐ होलिकायै नम: ॐ प्रह्लादाय नम: ॐ नृसिंहाय नम:

होलिका दहन पर करें ये उपाय

होलिका दहन के समय परिवार के लोगों द्वारा एक साथ होलिका की परिक्रमा करना शुभ होता है। परिक्रमा लेते वक़्त होलिका में चना, मटर, गेहूं, अलसी अवश्य डालें। इसे धन लाभ का अचूक उपाय माना गया है।

होली वाली रात पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर, पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा लगाएं। ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता हैं।

होलिका दहन के अगले दिन सबसे पहले मंदिर जाकर देवी-देवताओं को गुलाल चढ़ाना चाहिए, उसके बाद ही होली खेलनी चाहिए।
होलिका के जलने के दौरान उसमें कपूर डालने से हमारे आसपास मौजूद हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
होलिका दहन के समय सरसों के कुछ दाने होलिका को अर्पित कर मां लक्ष्मी को याद करें। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी घर पर कृपा करती हैं।

होलिका दहन की राख बेहद पवित्र मानी जाती है। इसलिए होलिका दहन के अगले दिन सुबह के समय इस राख को शरीर पर मलने से समस्त रोग और दुखों का नाश किया जा सकता है।

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